- माऊ, आज नीं मनै तूँ पांच मिरकली घी घाली ! - कियाँ ? आज के तूँ खोदी काड गे आयो है ? - ना, पण आथण जद सारा खेलै, तो मेरै सारा बेलियाँ नै ज्यादा हींडा मिलै अर मनै कम हींडा मिलै है। कोई पूछ ही ल्यै के ' बोल, तेरी माँ तनै कित्ती मिरकली घी घाल्यो ?' .....तो तेरी बेजती तो कोनी होवै.
- अरे टींगर ! ईं बिलड़ी नै परने भजा रै..., ईं नै दिनगे तो दूध घाल्यो हो! आ तो फेर आ'गे बैठगी. - आ बिलड़ी जद माऊ माऊ करै है, जद तो तूं भाज'र ढूध घालद्यै अर मैं दिनगे गो माऊ-माऊ करण लागरयो हूँ! मने तो तं एक बाटकड़ी चा ई कोनी बणागे दी? मैं तो कोनी भजाऊं.
- थारे घरे कुण है ? - कोई कोनी , के बात ही ? - माहरले कालिये गो ब्याह मांड राख्यो है जद गीतां गो केहन आई , तेरी सासु ने के दई याद करगे ! के कालिये गी मां आई गीतां गो केहन | - माऊ तो लाधू आले घरे गयी है ढोकलिया नुडान ने , आ सी जद के दे स्यूं , अरबाबोगामग्येडाहै राधकी गे सासरे बे तो तडके ही आवेला |