पसंद आयो के ?

Friday, November 11, 2011

- माऊ रात नी मन्ने सपनों आयो के थे मन्ने बोला सारा रिपिया दिया हा अर बोली के "जा तेरो जी करे बो कर" , अर सपनों भी दिनगे सी'क आयो हो , के ठा , साची हो ज्ये !

- बेटा , सपनों तो मन्ने भी आयो हो के तू दिन-रात पढाई करण लग गयो अर पढाई गे सागे घर गा सारा काम भी करण लग गयो , ओ सपनों भी दिनगे ही आयो हो , के ठा साची हो ज्ये !

- ले माऊ तू तो जज्बाती हो गी , सपना भी कदी साची होया , ऐ तो  केहन गी बातां है  |
   तू तो चा'  बनावे ही नी ? जा पेहला चा' बना |

Thursday, May 5, 2011

तीज री मोकळी मोकळी बधाई ...

मेरी नानी ...


चंदण री है कोठड़ी अर काठ रा ताळा, अबै सो’ज्या ऐ काया, तेरा रामजी रुखाळा।।

Tuesday, May 3, 2011

आज तो ताऊ लाडूड़ां में हाथ ?


- के बात है ताऊ, आज तो कोठ्यार गा धणी ? आज तो लाडूड़ां में हाथ ?
- के बताऊँ तनै ! आज-काल गा टाबरिया ही स्याणा हो‘ग्या। बां नै बेरो है कै ताऊ गै सुगर है, बै लाडू तो खा‘सी कोनी, तो बडेरा-बडेरा कहगे‘र मनै अठै बिठाग्या।

Tuesday, April 26, 2011

बोल, तेरी माँ तनै कित्ती मिरकली घी घाल्यो ?...

- माऊ, आज नीं मनै तूँ पांच मिरकली घी घाली !
- कियाँ ? आज के तूँ खोदी काड गे आयो है ?
- ना, पण आथण जद सारा खेलै, तो मेरै सारा बेलियाँ नै ज्यादा हींडा मिलै अर मनै कम हींडा मिलै है। कोई पूछ ही ल्यै के ' बोल, तेरी माँ तनै कित्ती मिरकली घी घाल्यो ?' .....तो तेरी बेजती तो कोनी होवै.

Thursday, April 21, 2011

जवानी स्यूं बुढ़ापे गी बात ...


आज मैं ठूंठो हूँ,
कदी मैं लूंठो हो

कदी मोढै पर ही कस्सी अर बूंकियाँ में हो जोर
अब कदी छियां अर कदी तावड़ो पर ला'दी कठै'ई न ठौर