पसंद आयो के ?

Friday, November 11, 2011

- माऊ रात नी मन्ने सपनों आयो के थे मन्ने बोला सारा रिपिया दिया हा अर बोली के "जा तेरो जी करे बो कर" , अर सपनों भी दिनगे सी'क आयो हो , के ठा , साची हो ज्ये !

- बेटा , सपनों तो मन्ने भी आयो हो के तू दिन-रात पढाई करण लग गयो अर पढाई गे सागे घर गा सारा काम भी करण लग गयो , ओ सपनों भी दिनगे ही आयो हो , के ठा साची हो ज्ये !

- ले माऊ तू तो जज्बाती हो गी , सपना भी कदी साची होया , ऐ तो  केहन गी बातां है  |
   तू तो चा'  बनावे ही नी ? जा पेहला चा' बना |

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